Congress Naukri Mela : बेरोजगार युवाओं का सैलाब - पटना जॉब फेयर में उमड़ी भीड़
Congress : 190+ कंपनियां – 7000 नौकरियों का दावा
कांग्रेस ने दावा किया है कि इस मेले के जरिए 7,000 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिसे पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले युवा वोटरों को लुभाने की रणनीति के तौर पर देख रही है। पटना के ज्ञान भवन में आयोजित इस मेगा जॉब फेयर में बिहार के कोने-कोने से आए युवाओं ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदयभानु चिब ने दावा किया कि मेले में 190 से अधिक नामी कंपनियों – जैसे टाटा अलायन्स, फ्लिपकार्ट, टेक महिंद्रा, पेटीएम और वोल्टास ने शिरकत की। करीब 48,000 युवाओं ने पंजीकरण कराया – जिनमें से 20,000 से अधिक के साक्षात्कार हुए। इनमें से 7,000 युवाओं को मौके पर ही जॉब लेटर सौंपे गए – जबकि कई अन्य को अगले राउंड के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया।
हालांकि भारी भीड़ के कारण आयोजन स्थल पर अफरा-तफरी का माहौल भी देखने को मिला। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। युवाओं की भारी संख्या ने बिहार में बेरोजगारी की गंभीर समस्या को उजागर किया – जिसे कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान का प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश की।

Job Fair : 18-25 हजार की नौकरियां – लेकिन शिकायतें भी
कांग्रेस ने दावा किया कि मेले में युवाओं को 18,000 से 25,000 रुपये मासिक वेतन वाली नौकरियां दी गईं। लेकिन – कई युवाओं ने शिकायत की कि ज्यादातर कंपनियां बिहार से बाहर की थीं और कम वेतन वाली नौकरियां ऑफर कर रही थीं। कुछ ने कहा कि 12,000-15,000 रुपये की सैलरी के लिए उन्हें गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 1,500 किलोमीटर दूर जाने को कहा गया। इसके अलावा, पंजीकरण फॉर्म में विधानसभा क्षेत्र की जानकारी मांगे जाने पर कुछ युवाओं को शक हुआ कि यह मेले का मकसद सिर्फ रोजगार नहीं – बल्कि वोट बैंक की सियासत भी हो सकती है।
Congress : ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ का नारा
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने इस मौके पर कहा – “हमारे नेता राहुल गांधी बेरोजगारी के मुद्दे पर गंभीर हैं। उनकी ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा ने बिहार के युवाओं की पीड़ा को सामने लाया। सत्ता में न होने के बावजूद, हम रोजगार देने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। यह मेला उस प्रतिबद्धता का सबूत है।” कांग्रेस का यह कदम बिहार में बेरोजगारी और पलायन को चुनावी मुद्दा बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है – खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने भी केंद्र और राज्य की बीजेपी-जेडीयू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पिछले 20 सालों में डबल इंजन सरकार ने युवाओं को सिर्फ जुमले दिए हैं। हम विपक्ष में रहते हुए भी बिहार के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर ला रहे हैं। अगर हमारी सरकार बनी तो लाखों नौकरियां दी जाएंगी।”
Bihar Politics : सियासी नौटंकी या असली प्रयास?
हालांकि इस मेले को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल भी उठाए। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने इसे “चुनावी नौटंकी” करार देते हुए कहा कि फॉर्म में विधानसभा क्षेत्र की जानकारी मांगना वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। कुछ एक्स पोस्ट्स में भी दावा किया गया कि मेले में कम वेतन वाली नौकरियां और बिहार से बाहर के ऑफर देकर युवाओं को “ठगा” गया। कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह मेला बिहार के युवाओं को सशक्त बनाने और पलायन रोकने की दिशा में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है। पार्टी का कहना है कि यह आयोजन बिहार के युवाओं की प्रतिभा को देश की बड़ी कंपनियों से जोड़ने का एक मंच है।

Bihar Election : बिहार चुनाव में रोजगार का मुद्दा
