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बच्चों की जान बनी स्कूली ड्राइवर की ‘रफ्तार की पहचान’ – School Bus Accident Bijnor की पूरी पड़ताल
बिजनौर के शेरकोट इलाके में स्कूल की बस क्या पलटी, स्कूल की जिम्मेदारी भी औंधे मुंह गिर गई। 50 बच्चों से भरी यह “छोटी सी” बस जब खाई में उतरी तो उसमें से चीखें निकलीं, सिस्टम के कानों में नहीं, सोशल मीडिया की गलियों में गूंज गईं। ये (School Bus Accident Bijnor) अब सिर्फ एक हादसा नहीं, स्कूलों की लापरवाहियों का एक और ओपनिंग बैलेंस बन गया है।
तेज रफ्तार और ओवरलोडिंग: School Bus Accident Bijnor की क्लासिक रेसिपी
जहां बच्चों की सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए, वहां स्कूल ने रफ्तार का राग अलापा। बस में थे 50 बच्चे, और रफ्तार थी ऐसी कि बस खाई में कूद पड़ी। गनीमत रही कि बिजली नहीं थी, नहीं तो 11 हजार वोल्ट का करंट ‘लाइव प्रैक्टिकल’ हो जाता। बस पलटी तो किसी का हाथ टूटा, किसी का भरोसा – लेकिन स्कूल का चेहरा आज भी मुस्कुरा रहा है।
घायल बच्चों को ग्रामीणों ने निकाला, स्कूल प्रबंधन ने झाड़ा पल्ला – School Bus Accident Bijnor में कौन जवाबदेह?
हादसे के बाद वही पुराना दृश्य – रोते बच्चे, भागते ग्रामीण, और चुप्पी साधे अधिकारी। इलाज का जिम्मा जनता ने लिया, और स्कूल ने चुप्पी का। पुलिस आई, पूछताछ की नौटंकी शुरू हुई, और स्कूल वाले बोले – “हमें कुछ पता नहीं था!” लगता है बच्चों की जिम्मेदारी से ज्यादा ध्यान फीस वसूली पर है।
“बस में 50 बच्चे! क्या बस थी या रेलवे का जनरल डब्बा?” – परिजनों का फूटा गुस्सा
स्कूल वालों की मानें तो ये बस नहीं, मैजिक कार्पेट थी, जो उड़ने के लिए बनी थी। लेकिन जब जमीन पर आई, तो खाई में जा गिरी। परिजनों का गुस्सा इस बात पर है कि इतने बच्चों को ठूंस कर भरा गया, जैसे आलू की बोरी। कोई निगरानी नहीं, कोई सुरक्षा नहीं, बस भगवान भरोसे स्कूल बस।
❓ अब सवाल – School Bus Accident Bijnor जैसे हादसे कब रुकेंगे?
क्या स्कूलों की बसें ‘शिक्षा की गाड़ी’ हैं या ‘संघर्ष की सवारी’? क्यों हर साल ऐसे हादसे होते हैं और स्कूल प्रबंधन बच निकलता है? ये हादसा (School Bus Accident Bijnor) एक अलार्म है, पर लगता है स्कूल की घड़ी हमेशा सुस्त रहती है।
“बच्चे घायल, बस ध्वस्त, लेकिन स्कूल प्रबंधन फिट और फाइन”
जब तक जिम्मेदारी सिर्फ “तस्वीरों में प्रार्थना” और “समाचारों में खेद” तक सीमित रहेगी, School Bus Accident जैसे हादसे एक रूटीन बनते रहेंगे। लिहाजा जरूरत है ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की। जिससे किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: नवनीत राजपूत
📍 लोकेशन: बिजनौर, यूपी

 
         
         
         
        