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मजदूर की बेटी, लेकिन हौसले अरबपति: Gulnaz Football Champion की शुरुआत
जब गाँव की मिट्टी से निकली एक लड़की नेपाल की जमीन पर तिरंगा लहरा दे, तो खबर नहीं, इंकलाब बनती है। Gulnaz की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। ग्राम शाहपुर मुबारकपुर की रहने वाली गुलनाज, जिनके पिता नईम एक मजदूर हैं, ने अपनी कप्तानी में भारत को छठी इंडो-नेपाल फुटबॉल चैंपियनशिप में गोल्ड दिलाया है।
इस जीत में सबसे खास बात ये रही कि सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ दोनों गोल गुलनाज ने खुद दागे, और फाइनल में नेपाल को हराने में भी एक गोल उन्हीं के नाम रहा। यह जीत सिर्फ एक मेडल नहीं, बल्कि उस सिस्टम पर तमाचा है जो गाँव की बेटियों को खेल मैदान से बाहर मानता है।
Gulnaz Football Champion के पीछे खड़ी ‘दक्ष शक्ति’
गुलनाज की ये चमक यूँ ही नहीं आई। इसके पीछे एक और नाम है – गीतांजली दक्ष। राजकीय हाई स्कूल कुचावली की इस स्पोर्ट्स शिक्षिका ने गुलनाज के भीतर की खिलाड़ी को पहचाना और उसे तराशा।
गुलनाज बताती हैं कि जब वे कक्षा 9 और 10 में थीं, तब उन्हें खेलों में कोई रुचि नहीं थी। लेकिन गीतांजली मैडम ने न सिर्फ उन्हें खेल के प्रति प्रेरित किया, बल्कि आत्मविश्वास से भर दिया। आज यही आत्मविश्वास उन्हें फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय पिच पर ले गया। Gulnaz का ये सफर गीतांजली दक्ष के बिना अधूरा होता।
एक नहीं, कई खेलों में ‘गुलनाज गोल्डन’: Gulnaz Football Champion की बहुआयामी जीत
फुटबॉल में नेपाल पर धावा बोलने वाली गुलनाज, आर्म रेसलिंग में भी नेशनल गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। साथ ही, जूडो में स्टेट गोल्ड भी उनके नाम है। यानी ये लड़की किसी एक खेल की खिलाड़ी नहीं, बल्कि पूरा खेल मंत्रालय लगती है।
Gulnaz का सपना है भारत को फुटबॉल में ओलंपिक गोल्ड दिलाना। अब भले ही ये सपना बड़े शहरों में पलता हो, लेकिन गुलनाज ने दिखा दिया कि सपनों के लिए मेट्रो नहीं, मेहनत चाहिए।
गाँव से ग्लोरी तक: Gulnaz Football Champion की उड़ान
आज गुलनाज बाबूराम शर्मा इंटर कॉलेज लदावली में 12वीं की छात्रा हैं, लेकिन उनका खेल का सफर राजकीय हाई स्कूल कुचावली से शुरू हुआ, जहाँ गीतांजली दक्ष जैसी शिक्षिका ने उन्हें सिर्फ खेल नहीं, जिंदगी का गुर सिखाया।
वो कहती हैं – “मैडम जैसी मार्गदर्शक हो, तो हार भी जीत में बदल जाती है।” और यही हुआ। स्कूल पास होने के बाद भी गुरु-शिष्या का ये रिश्ता बना रहा, जिससे आज भारत को एक Gulnaz Football Champion मिली।
सवाल सिस्टम से: कितनी गुलनाज और खो जाएंगी?
अब सवाल सीधा है – कितनी गुलनाज हैं जो सिर्फ एक मार्गदर्शक की कमी से इतिहास नहीं रच पातीं? गाँवों में ऐसे ही टैलेंट भरे पड़े हैं, बस जरूरत है एक गीतांजली दक्ष की, जो उन्हें पहचान सके। Gulnaz Football Champion ने दिखा दिया कि प्रतिभा जगह देखकर पैदा नहीं होती, लेकिन अवसर जरूर जगह देखकर दिए जाते हैं।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: कुलदीप सिंह
📍 लोकेशन: मुरादाबाद, यूपी
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