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बारिश बनी कहर: Sonbhadra Road Woes में सड़कों ने छोड़ा साथ
सोनभद्र में बारिश आई, लेकिन साथ लायी टोल टैक्स वसूली की पोल। रॉबर्ट्सगंज शहर की सड़कें इन दिनों ऐसे जलमग्न हैं जैसे विकास योजनाओं में नैतिकता। सड़कों पर चलना अब रोमांचक यात्रा नहीं, बल्कि एक खुला जुआ बन चुका है। Sonbhadra Road Woes अब आम चर्चा का विषय नहीं, जीवन-मरण का सवाल बन चुका है।

लोग अपने घरों से निकलते वक्त अब छाता नहीं, हेलमेट पहनकर निकल रहे हैं – क्योंकि गड्ढा कब, कहां मुंह खोल ले, कहा नहीं जा सकता। फ्लाईओवर के नीचे की सर्विस लेन मानो टूटे हुए सपनों का म्यूजियम बन गई हो।
फ्लाईओवर के नीचे मौत की गलियां: Sonbhadra Road Woes का ग्राउंड रिपोर्ट
Sonbhadra Road Woes की हकीकत जाननी हो तो किसी दिन बाइक पर बैठकर सर्विस लेन का ट्रायल ले लीजिए। खुले नाले ऐसे आमंत्रण देते हैं मानो कह रहे हों – “आइए, गिरिए, हड्डी तुड़वाइए!” राजमार्ग पर मौजूद टोल प्लाजा पर टेक्स तो वसूली जाती है, लेकिन सुविधा? वो अब भी फाइलों में बारिश से भीग रही है।

स्थानीय निवासी शत्रुंजय मिश्रा और राजन ने प्रशासन की नींद पर तंज कसते हुए कहा – “यहां टोल टैक्स नहीं, एक्सीडेंट टैक्स वसूला जा रहा है।” विपक्ष और सत्ता के नेता वहीं रहते हैं लेकिन समाधान? जी हां, उसकी भी ज़मीन धंसी हुई है।
गड्ढों में समाया सिस्टम: Sonbhadra Road Woes पर जनता का फूटा गुस्सा
सड़कों की हालत ऐसी है कि आम जनता ने प्रशासन की ओर से उम्मीदें छोड़ दी हैं। Sonbhadra Road Woes से तंग आकर अब लोग खुद सड़क के गड्ढों में “रोड सेफ्टी पूजा” कर रहे हैं, शायद भगवान ही अब इन सड़कों का उद्धार कर पाए।

स्थानीय लोग खुलेआम कह रहे हैं – “या तो सड़क बनवाइए, या फिर टोल प्लाजा को म्यूजियम में बदल दीजिए जहां देश देख सके कि कैसे टैक्स लिया जाता है बिना सुविधा दिए।”
बारिश का बहाना, या निकम्मेपन की कहानी?
अब सवाल यह है कि Sonbhadra Road Woes पर प्रशासन कब तक मौन रहेगा? जब हादसे अखबार की हेडलाइन बनेंगे तभी क्या कार्यवाही होगी? स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर टोल ऑपरेटर तक सब चुप हैं, लेकिन जनता की चुप्पी अब गड्ढों की गहराई से गूंजने लगी है।
बारिश तो हर साल आती है, लेकिन विकास कब आएगा – ये सवाल अब लाउडस्पीकर से पूछा जा रहा है।
Sonbhadra Road Woes: हादसे किस्मत से नहीं, सिस्टम की करतूत से होते हैं
जिस देश में नेता सड़क पर फीता काटने आते हैं, वहां जनता रोज़ उन्हीं सड़कों पर गिरकर अपना सिर फुड़वा रही है। Sonbhadra Road Woes अब एक इलाके की समस्या नहीं, पूरे सिस्टम की पोल खोलता दस्तावेज़ है। सवाल सिर्फ सड़कों का नहीं है, सवाल उस सोच का है जिसमें जनता की सुरक्षा सबसे आखिरी कॉलम में आती है – वो भी ‘नोट एप्लीकेबल’ लिखकर।
अगर ये हालात बने रहे तो अगली बार कोई हादसा सिर्फ दर्द नहीं देगा, बल्कि लोगों के सब्र का बांध तोड़ देगा। और जब जनता सवाल पूछने लगे तो कुर्सियां जवाब नहीं देतीं, हिलने लगती हैं।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: प्रदीप चौबे
📍 लोकेशन: सोनभद्र, यूपी
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