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मथुरा के जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह ने District Magistrate School Inspection के तहत गांव गौसना के प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने न केवल स्मार्ट क्लास में बच्चों से पढ़ाई करवाई बल्कि मिड डे मील की गुणवत्ता, सफाई व्यवस्था और अध्यापकों की हाज़िरी भी परखी।
जब ‘DM साहब’ खुद बन गए शिक्षक
गुरुवार की सुबह थी, लेकिन मथुरा के गौसना गांव के मास्टरों की नींद तब खुली जब साहब खुद स्कूल पहुँच गए—हाथ में छड़ी नहीं, लेकिन सवालों की झड़ी लेकर। जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह ने जैसे ही स्कूल में कदम रखा, स्मार्ट क्लास के एलईडी पर तैनात अक्षरों के पसीने छूट गए। बच्चे चौंके नहीं, क्योंकि वो तो रोज़ की तरह तैयार थे, लेकिन अध्यापकों की शक्लें देखकर लग रहा था मानो भूगोल की क्लास में इतिहास का पेपर थमा दिया गया हो।
District Magistrate School Inspection:”खाना खाया कि नहीं बेटा?”

डीएम साहब ने बच्चों से मिड डे मील का हाल पूछा। बच्चों ने बताया – “खाया जी, आलू-छोले और दाल-रोटी। स्वाद भी ठीक था, और पेट भी भर गया।” बच्चों के मुंह से ‘खाना अच्छा था’ सुनकर डीएम साहब मुस्कराए, लेकिन किचन की ओर भी एक टेढ़ी निगाह घुमा दी। उनका संकेत साफ था—”आज ठीक है, पर रोज़ भी ठीक ही रहना चाहिए।”
District Magistrate School Inspection:जब साफ-सफाई पर बिगड़े डीएम साहब
कक्षा की दीवारों पर लगे चित्र मुस्करा रहे थे लेकिन स्कूल परिसर की ज़मीन कराह रही थी। गंदगी देखकर डीएम साहब का माथा ठनका। तुरंत आदेश—”छुट्टी के बाद फटाफट सफाई हो, नहीं तो छुट्टी से पहले छुट्टी कर दूंगा!” अध्यापक सिर झुकाए खड़े थे, मानो कक्षा में गृहकार्य भूल गए हों।
हैंडपंप चलाया, पानी चखा, फिर ग्राम प्रधान को घुमा दिया नल

जिलाधिकारी ने खुद हैंडपंप चलाकर पानी की गुणवत्ता चेक की—और फिर ग्राम प्रधान को घुमा दिया निर्देशों की पाइपलाइन। “शौचालय साफ रहना चाहिए, पानी हर वक़्त उपलब्ध हो, और ज़रूरत पड़े तो टाइल भी लगाओ। स्कूल को स्कूल जैसा बनाओ, कबाड़खाना नहीं।”
District Magistrate School Inspection:आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र रहे ‘बंद’
अब खबर का असली कलेजा—मॉडल आंगनबाड़ी और आयुष्मान आरोग्य केंद्र मौके पर बंद मिले! साहब का चेहरा एकदम साफ कह रहा था—“अब बताओ किसे आरोग्य मिला?” अनुपस्थित कर्मचारियों को स्पष्टीकरण मांगा गया है, लेकिन सवाल ये है कि सरकारी सिस्टम किस दवाखाने में भरती हो चुका है जो खुद ही इलाज़ नहीं कर पा रहा?
क्या सिर्फ एक दौरा बदल देगा तस्वीर?

डीएम का यह औचक निरीक्षण वाकई सराहनीय है, लेकिन असली सवाल यही है—क्या यह व्यवस्था एक बार की पड़ताल से सुधरेगी? स्कूल में बच्चे रोज़ होते हैं, मास्टर रोज़ आते हैं, लेकिन जिम्मेदारी का अहसास केवल साहब की एंट्री पर क्यों होता है?
आंगनबाड़ी बंद, स्वास्थ्य केंद्र बंद, परिसर गंदा— क्या यही है स्मार्ट स्कूल का हाल?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: अमित शर्मा 
📍 लोकेशन: मथुरा, यूपी
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