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Operation Sindoor से निकली आस्था की मशाल
संभल से बुधवार की सुबह कुछ अलग निकली। न ढोल था, न नगाड़ा, लेकिन कांवड़ियों का एक जत्था “ऑपरेशन सिंदूर” (operation sindoor) नाम की भावना के साथ ऐसा निकला कि हर गली-मोहल्ले में लोग छतों से जयकारा लगाने लगे। ये कोई आम कांवड़ नहीं थी—ये तो देशभक्ति और शिवभक्ति का ऐसा संगम था, जिसमें मोदी-योगी की तारीफ घुली थी और आस्था का रंग चढ़ा था।
60 युवाओं का यह जत्था ना सिर्फ़ हरिद्वार से जल लेने जा रहा है, बल्कि साथ ले जा रहा है वो संदेश, जिसे आज की राजनीति भुनाती है और जनता जीती है। ये जत्था बोले तो मोबाइल मंदिर—जहां नारे थे, भक्ति थी और राष्ट्रवाद की छाया थी।
Kawad में छलका मोदी-योगी का रस, Operation Sindoor बना भावनात्मक हथियार
कांवड़ में जल नहीं, इस बार आस्था के साथ-साथ विश्वास का बाण था—वो विश्वास जो मोदी-योगी के “ऑपरेशन सिंदूर” (operation sindoor) पर टिका है। भक्तों का कहना है कि कांवड़ यात्रा को सुरक्षित, सुगम और गरिमामय बनाने के लिए जो व्यवस्थाएं सरकार ने की हैं, वो पहले कभी नहीं देखी गईं।
पंडालों में पंखे, दवाइयों की किट, लाइटिंग, फॉगिंग से लेकर सुरक्षा तक… और सबसे बड़ी बात – प्रशासन का सम्मानजनक व्यवहार!
कांवड़ियों ने कहा, “पहले तो सड़क पर चलते थे जैसे भिखारी हों, अब तो VIP जैसा ट्रीटमेंट मिल रहा है। इसीलिए हमने इस यात्रा का नाम रखा है – ऑपरेशन सिंदूर!”
22 जुलाई को होगा जलाभिषेक, कांवड़ियों में दिखा जुनून
ये जत्था 22 जुलाई को वापस संभल पहुंचेगा और शिवालय में जलाभिषेक करेगा। लेकिन असली जलाभिषेक तो वो है जो ये लोग अपने जोश, जुनून और शिवभक्ति से पूरे माहौल में फैला रहे हैं। “हम सिर्फ़ जल नहीं लाते,” एक श्रद्धालु ने कहा, “हम गांव-गांव आस्था का सिंदूर लगाते हैं।”
Modi-Yogi को लगा सबसे बड़ा वोट – भक्तों की वाणी से
कांवड़ यात्रा अब सिर्फ़ धार्मिक नहीं रही, ये राष्ट्रभक्ति का इवेंट बन चुकी है। और इसमें कोई दो राय नहीं कि इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ मोदी और योगी सरकारों का है। ऑपरेशन सिंदूर (operation sindoor) को लेकर हर कांवड़िया गर्व से कह रहा है, “मोदी योगी नहीं होते तो ये सेवा नसीब न होती।”
Operation Sindoor पर तंज – क्या ये सिर्फ़ चुनावी इवेंट है?
हालांकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि “ऑपरेशन सिंदूर”(operation sindoor) एक सुनियोजित ईवेंट मैनेजमेंट है, जिसके पीछे सिर्फ़ वोटों की राजनीति है। लेकिन कांवड़ियों को इससे फर्क नहीं पड़ता। उनके लिए मोदी-योगी इस वक्त भोलेनाथ के एजेंट हैं – जो आस्था के काम में लगे हैं।
कांवड़ में धर्म भी, राजनीति भी और राष्ट्रवाद भी
संभल से निकला यह जत्था आने वाले वक्त में एक नया ट्रेंड सेट कर सकता है। भक्ति की राह में देशभक्ति और सरकार की ब्रांडिंग ऐसे ही घुलती रही तो कांवड़ यात्रा धीरे-धीरे शिव+शासन का इवेंट बन जाएगी।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: रामपाल सिंह
📍 लोकेशन: संभल, यूपी
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