Bihar Crime : बिहार में अपराध बेलगाम - सरकार चुप - सियासी दलों को क्या फायदा?

Bihar Crime : जंगलराज का नया चैप्टर – दनादन गोलियां – सरकार की चुप्पी और सियासत जबर्दस्त

Bihar Crime : Nitish के राज में बेकाबू Bihar – अपराध धुआंधार – कौन है जिम्मेदार?

Written by khabarilal.digital Desk

एक बार फिर अपराध और अराजकता की आग में जल रहा है। कांग्रेस के तेजतर्रार नेता कन्हैया कुमार ने नीतीश कुमार की सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि बिहार में “कोई और” सरकार चला रहा है। Kanhaiya Kumar ने सवाल उठाया कि क्या Nitish Kumar का “सुशासन बाबू” का तमगा अब केवल एक खोखला नारा बनकर रह गया है? Kanhaiya Kumar ने तंज कसते हुुए कहा – “बिहार में ऐसा कोई शहर नहीं, जहां गोलियां न चल रही हों – सूबे की बदहाल कानून-व्यवस्था की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है।”  
लेकिन सवाल सिर्फ नीतीश से नहीं – बल्कि हर राजनीतिक दल से है—क्या बिहार की जनता को सिर्फ वोटबैंक समझने वाले ये दल वाकई इस संकट का हल चाहते हैं या केवल सियासी रोटियां सेंकने में मशगूल हैं?

Bihar Crime – डबल इंजन या डबल धोखा? 

बिहार में अपराध का ग्राफ आसमान छू रहा है। पटना में व्यापारी गोपाल खेमका की दिनदहाड़े हत्या हो या मुजफ्फरपुर में सरस्वती पूजा के चंदे के लिए दलित छात्रावास पर गोलीबारी – हर घटना बिहार की ध्वस्त कानून-व्यवस्था की गवाही देती है। Tejashwi Yadav ने इसे “जंगलराज 2.0” करार दिया – तो Rahul Gandhi ने बिहार को “भारत की क्राइम कैपिटल” ठहराया। Kanhaiya Kumar ने शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए – जहां लॉटरी से प्राचार्य नियुक्त किए जा रहे हैं और “पैसा दीजिए, डिग्री लीजिए” का धंधा फल-फूल रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये आरोप केवल नीतीश सरकार पर हैं – या विपक्ष भी इस आग में घी डाल रहा है?

सत्ता की है चूल – सभी दल सियासी चाल में मशगूल!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच कानून-व्यवस्था का मुद्दा हर राजनीतिक दल के लिए सोने का अंडा बन गया है। राजद के तेजस्वी यादव नीतीश को घेरते हैं – लेकिन इंडिया गठबंधन की बैठकों में नीतीश के प्रति नरम रुख की सलाह देते हैं—क्या यह ईबीसी वोटबैंक की जुगत है या नीतीश की वापसी की उम्मीद? बीजेपी अपराध पर चुप्पी साधे हुए है – लेकिन उनके उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी दावा करते हैं कि “संगठित अपराध खत्म हो गया है।” दूसरी ओर – JDU के मुस्लिम नेताओं का वक्फ बिल के बाद पार्टी छोड़कर राजद में जाना और चिराग पासवान की रणनीति से एनडीए में उलझन Bihar की सियासत को और पेचीदा बना रही है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस मौके को भुनाने की कोशिश में है – जो सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है।
Bihar Crime : 14 दिन में 50 मर्डर - बिहार में अपराध बेलगाम - सरकार क्यों नाकाम?
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Bihar Crime – सवाल तो सबसे है –

  • क्या बीजेपी और जेडीयू की “डबल इंजन” सरकार वाकई अपराध रोकने में नाकाम रही है?
  • क्या राजद और कांग्रेस केवल सत्ता के लिए इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं?
  • क्या छोटे दल जैसे आप और बसपा – जो बिहार में अपनी जमीन तलाश रहे हैं – इस संकट का कोई ठोस हल पेश कर पाएंगे?
मौका चुनाव का है तो हर दल इस मुद्दे को अपनी सियासी चमक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है – लेकिन बिहार की जनता के लिए ठोस समाधान कोई नहीं सुझा रहा। ऐसे में जनता से सवाल है कि अब क्या? तो कांग्रेस के कन्हैया कुमार बिहार की जनता से कहते दिखते हैं – “जिस सरकार को आपकी चिंता न हो – उसकी कुर्सी छीन लीजिए।” कन्हैया की बात में दम तो है। लेकिन वो भी मौके को भुनाते हुए अपनी कांग्रेस पार्टी और एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों के गठबंधन की वकालत कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या जनता के पास कोई विश्वसनीय विकल्प है? बीजेपी-जेडीयू गठबंधन हो – राजद-कांग्रेस का इंडिया ब्लॉक हो – या प्रशांत किशोर की नई पार्टी—हर कोई वोट के लिए अपराध और शिक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों का इस्तेमाल कर रहा है।
बिहार की जनता को अब यह तय करना है कि क्या वे इन सियासी खेलों में उलझकर रह जाएंगे – या ऐसी सरकार चुनेंगे जो वाकई “सुशासन” और “न्याय” का वादा निभाए। सवाल बड़ा है लेकिन बेहद गंभीर! आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं – हमें कमेंट कर अपनी राय जरूर बताइएगा।
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