Saharanpur Cow Crime

Saharanpur Cow Crime: गौ माता को नोचा, अब गोली खाकर अस्पताल में बड़बड़ा रहा राम बहादुर!

Saharanpur Cow Crime ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। सहारनपुर के नवादा रोड इलाके में राम बहादुर नाम के दरिंदे ने गौ माता के साथ अनैतिक कार्य कर पवित्र आस्था को शर्मसार किया। गांव वालों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को मुठभेड़ में गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया।

🐄 गौ माता.. भारत की सांस में बसी देवी। Saharanpur Cow Crime

गाय… नहीं! गौ माता। जिस घर में पहला निवाला बच्चे के मुंह में जाता है, वहां मां की ममता और गौ माता का दूध बराबर तुलता है। हमारी आस्था, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार — सब उस रंभाती मूक प्राणी के इर्द-गिर्द घूमते हैं, जिसे गांव का बूढ़ा बाबा सिर झुकाकर देखता है, गांव की दादी दालान में रोटी बेलकर सबसे पहला हिस्सा देती है।
कहा जाता है — देवी का रूप है गौ माता। मगर इस धरती पर ऐसा भी कोई निकृष्ट मनुष्य होगा जो इस देवी स्वरूप को हवस का खिलौना बना डालेगा — इसे सुनते ही कान खड़े हो जाएं, आत्मा कांप उठे!

राम बहादुर: जिसने गौ माता को हवस से शर्मिंदा किया। Saharanpur Cow Crime

सहारनपुर के नवादा रोड का राम बहादुर — नाम से लगेगा खेती-बाड़ी करता होगा, सुबह दूध दुहता होगा, शाम को चौपाल पर ताश खेलता होगा। मगर इसके भीतर ऐसा पाप पल रहा था जो जंगल के भेड़िये में भी नहीं होता। जिसने गाय को — जिस पर गांव के बच्चे तक हाथ जोड़ते हैं — अपनी नीचता की खोह में घसीट लिया।
हवस जब हद लांघे तो इंसान जानवर से भी गिर जाता है — राम बहादुर ने यही किया। अब पुलिस की गोली खाकर अस्पताल में पड़ा है — पैर छलनी, इज्जत ढलान पर, और गांव की गलियों में उसका नाम थूक के साथ ज़मीन पर गिराया जा रहा है।

पुलिस की गोली: पाप का पहला हिसाब। Saharanpur Cow Crime

राम बहादुर सोचता होगा — ‘गऊ माता ने माफ कर दिया होगा।’ लेकिन नहीं! गऊ माता तो मूक हैं, मगर गांव वाले नहीं। पुलिस ने तमंचा चलाया, गोली टपकाई और ये हवस का पुजारी चारपाई पर पहुंच गया। अब अस्पताल में पड़े पड़े कराह रहा है — तमंचा बरामद, कारतूस बरामद, मगर सबसे बड़ा सबूत उसका कुकर्म।
गांव में लोग कहते हैं — ‘‘गोली तो पैर में लगी, अगर फैसला हमारे हाथ होता तो गर्दन काट के गौशाला में टांग देते — ताकि अगला कोई राम बहादुर पैदा न हो!’’

गौ माता की इज्जत — अब समाज की अदालत। Saharanpur Cow Crime

अब कोई कोर्ट कचहरी कुछ भी करे — गांव ने तो अपना फैसला सुना दिया। गऊ माता की कोख में हवस का ज़हर घोलने वाले को इंसान नहीं माना जाएगा। चौपाल पर राम बहादुर का नाम अब गाली है। बूढ़ी अम्मा से लेकर खेलते बच्चे तक कहते फिर रहे हैं — ‘‘राम बहादुर? अरे वो गऊ माता वाला? धिक्कार है!’’
और यही है असली सज़ा — गोली तो भरपाई है पाप की, असली सज़ा है गांव की नज़र। क्योंकि गांव की नज़र एक बार उतर जाए तो आदमी जिंदा होते हुए भी मुर्दा हो जाता है।

 Written by khabarilal.digital Desk

🎤 संवाददाता: पारस पंवार
📍 लोकेशन: मथुरा, यूपी

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