Bihar Election 2025 : बिहार में चुनाव आयोग का एक्शन - 17 पार्टियों को नोटिस - कहा...10 दिन में जवाब दें वरना...
Bihar Election 2025 : बिहार में 17 राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन पर खतरा – 21 जुलाई तक देना होगा चुनाव आयोग को जवाब
खबरीलाल.डिजिटल रिपोर्टर – पटना ब्यूरो
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच 17 राजनीतिक दलों की अचानक नींद उड़ गई है। इन सभी दलों को राज्य निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी किया। आयोग ने इन सभी 17 राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन पर सवाल उठाए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि – ये दल 2019 के बाद से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सके हैं – इसी को आयोग ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया और चुनावी पारदर्शिता के लिए खतरा माना है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय – 7 सरदार पटेल मार्ग – पटना से जारी किए गए नोटिस में उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने दलों से 21 जुलाई तक ठोस सबूतों के साथ जवाब मांगा है। जवाब न देने पर इन दलों को डीलिस्ट करने की कार्रवाई हो सकती है, जिसका मतलब होगा कि इन्हें पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से हटा दिया जाएगा।
Bihar Election 2025 : क्यों भेजा गया नोटिस?
Bihar Election 2025 : लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत पंजीकृत दलों को विशेष सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन छह साल से निष्क्रिय रहने वाले दलों पर अब आयोग की नजर है। आयोग का कहना है कि ऐसे दल चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं। जिन 17 राजनीतिक दलों को नोटिस भेजा गया है उनमें – भारतीय बैकवर्ड पार्टी, भारतीय सुराज दल, बिहार जनता पार्टी, क्रांतिकारी साम्यवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता पार्टी (भारतीय), और सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी जैसे नाम शामिल हैं।
Bihar Election 2025 : डीलिस्टिंग का मतलब और प्रभाव
डीलिस्टिंग से इन दलों का आधिकारिक रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है, जिसके बाद वे चुनावी सुविधाओं और अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। आयोग ने स्पष्ट किया कि अगर दल समय पर जवाब नहीं देते, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है। यह कदम बिहार में स्वच्छ और सक्रिय राजनीतिक माहौल को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है।
Bihar Election 2025 : अब क्या करेंगे नोटिस पाने वाले दल?
Bihar Election 2025 : इन 17 दलों को अब 21 जुलाई तक अपने पक्ष को प्रमाणों के साथ पेश करना होगा। राज्य निर्वाचन आयोग इस जवाब के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। यह कदम न केवल बिहार की राजनीति में हलचल मचाएगा – बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि केवल सक्रिय और जिम्मेदार दल ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा रहें।
