Public Banks Privatization: सरकार को खुला अल्टीमेटम
“Privatization को Employees का झटका: OPS बहाली, भर्ती और NPS खत्म करने की गरज”
Public Banks Privatization: हड़ताल में उतरे कर्मचारी
मंगलवार को पूरे शहर में बैंक बंद रहे। वजह? Public Banks Privatization के खिलाफ बैंक कर्मियों ने अपनी गाढ़ी कमाई वाली आवाज को सरकार के कानों तक ठोक बजाकर पहुंचाने का मन बना लिया है। यूपी बैंक इम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले शाखाओं के ताले लटक गए और अंदर कुर्सियों पर बैठने वाले कर्मचारी बाहर सड़कों पर बैनर लेकर नारे लगाते नजर आए।
Public Banks Privatization के खिलाफ इस आंदोलन में OPS (Old Pension Scheme) की वापसी सबसे बड़ा हथियार बनकर उभरा। कर्मचारी बोले — नई पेंशन योजना यानी NPS को फाड़कर फेंक देना है, OPS को फिर से गले लगाना है।
Public Banks Privatization: OPS और NPS पर घमासान
यूनियन के नेता मनीष यादव ने कहा — “Public Banks Privatization का मतलब है आम आदमी की गाढ़ी कमाई को बड़े कॉरपोरेट घराने चबा जाएंगे और कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन के नाम पर धूल मिलेगी।”
इसीलिए OPS वापस लाओ और NPS को राम नाम सत्य करो! कर्मचारियों की 17 सूत्रीय मांगों में OPS बहाली टॉप पर है।
यही नहीं — कर्मचारियों ने सरकारी बीमा कंपनियों में भी Privatization और Foreign Investment बढ़ाने पर खुलकर लताड़ लगाई। बोले — LIC को बेचकर सरकार अमीरों की जेबें भर रही है, और गरीब आदमी की नसीब में रह जाएगी सिर्फ प्रीमियम की बढ़ती किश्तें।
Public Banks Privatization: भर्ती दो, ठेका बंद करो
Public Banks Privatization के विरोध के साथ-साथ यूनियन ने खाली पड़े हजारों पदों पर भर्ती की मांग भी ठोक दी। कर्मचारियों का कहना है — “बैंक में काम आउटसोर्सिंग और ठेका सिस्टम से नहीं चलेगा। पब्लिक सेक्टर मजबूत करना है तो स्थायी नौकरी बहाल करो, कॉन्ट्रैक्ट बंद करो।”
साथ ही यूनियन ने मांग रखी कि कॉर्पोरेट लोन माफ करने की परंपरा पर रोक लगे — कहा, किसान 10 हजार का कर्ज न चुका पाए तो बैंक कुर्की कर देता है, लेकिन हजारों करोड़ डकारने वाले उद्योगपति लंदन में सैर कर रहे हैं।
Public Banks Privatization: आम आदमी को भी फर्क
Public Banks Privatization से सिर्फ कर्मचारियों की ही नहीं, आम जनता की भी कमर टूटेगी — ऐसा कर्मचारी नेताओं का तर्क है। उनका कहना है कि अगर Public Banks Privatization होता है तो बैंक सर्विस चार्ज बढ़ेंगे, हर खाते में मिनिमम बैलेंस की तलवार लटकेगी और Insurance Premium पर GST की चोट और गहरी हो जाएगी।
इसीलिए इस हड़ताल में ग्राहक भी साइलेंट मोड में ही सही, लेकिन अंदर से कर्मचारी भाइयों के साथ हैं — ये कर्मचारी मंच से माइक पर चिल्ला-चिल्ला कर बोलते रहे।
Public Banks Privatization: सरकार को खुला अल्टीमेटम
कर्मचारी संगठन ने साफ कहा है — Public Banks Privatization और NPS के मुद्दे पर सरकार ने बात न सुनी तो आंदोलन और बड़ा होगा। यूनियन ने चेताया कि अगली बार हड़ताल हफ्तों में बदलेगी, और बैंक शाखाओं में ताले ही ताले दिखेंगे।
बैंक यूनियन के अध्यक्ष मनीष यादव ने गरजते हुए कहा — “सरकार कॉरपोरेट्स के हाथों देश के बैंकों को गिरवी रख रही है। अब वक्त आ गया है कि पब्लिक सेक्टर के लिए आवाज उठाई जाए।”
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:मुकेश कुमार बघेल
📍 लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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