Bulandshahr Wall Collapse
Bulandshahr Wall Collapse ने एक बार फिर सिस्टम की मजबूती का ढोल फाड़कर रख दिया। शिकारपुर तहसील के जीराजपुर गांव में तेज बारिश ने कच्ची दीवार को ऐसे गिराया कि एक महिला और दो बच्चे मलबे में दब गए। बच्चों को तो गांव वालों ने जान पर खेलकर बचा लिया, लेकिन महिला जिंदगी के लिए लड़ रही है।
🌧️ Bulandshahr Wall Collapse: दीवार ढही, उम्मीदें भी मलबे में!
बारिश तो बस बहाना थी —बुलंदशह में हुए हादसे (Bulandshahr Wall Collapse) ने असली सच उघाड़ दिया कि गरीब की जिंदगी की कीमत एक कच्ची दीवार से भी कम है। शिकारपुर तहसील के जीराजपुर गांव में बीती रात जब पानी बरसा तो घर की दीवार ने दम तोड़ दिया — और उसके नीचे दब गई एक मां, उसके बच्चे और वो सारे सरकारी वादे जो चुनावी पोस्टरों में ही मजबूत होते हैं। बच्चों को पड़ोसियों ने निकाल लिया, लेकिन महिला जिंदगी से जंग लड़ रही है। सवाल ये नहीं कि दीवार क्यों गिरी, सवाल ये है कि सिस्टम कब तक गिरता रहेगा? तहसीलदार से लेकर थाना प्रभारी तक फोटो खिंचवा कर चले गए — राहत के नाम पर वही घिसी-पिटी घोषणाएं! काश दीवार की मजबूती जितनी चिंता सरकारी अफसर अपनी कुर्सियों की करते — तो आज कोई मां मलबे में न मिलती!

गांव में लोग कह रहे हैं कि ये हादसा नहीं, सरकारी लापरवाही का पत्थर है जो हर गरीब के सिर पर गिरता है — बरसात आई नहीं कि छत, दीवार सब धड़ाम!
🧱 Bulandshahr Wall Collapse: बच्चे निकले, मां लहूलुहान!
दीवार गिरते ही गांव जीराजपुर में हाहाकार मच गया। हादसे में दबे बच्चों को पड़ोसियों ने अपनी जान पर खेलकर बाहर निकाला, लेकिन महिला के हालात गंभीर हैं। पहले CHC पहासू में भर्ती किया गया, फिर हालत बिगड़ती देख जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
तहसीलदार शिकारपुर गौरव कुमार बिश्नोई भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे, हां में हां मिलाई, हरसंभव मदद का वादा किया और ‘सिस्टम की इमारत’ मजबूत बताकर निकल लिए। सवाल वही — सरकारी राहत कब मिलेगी? या ये हादसा भी अगले हफ्ते की बारिश में बह जाएगा?
Bulandshahr Wall Collapse: कब सीखेगा सिस्टम?

गांव वाले पूछ रहे हैं — क्या हर बरसात में दीवार गिरनी जरूरी है? Wall Collapse जैसे हादसे UP में कोई नई बात नहीं। हर साल इसी मौसम में कहीं मकान ढहता है, कहीं छत। अफसर मौका मुआयना करते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, वादा करते हैं — फिर फाइल वहीं धूल फांकती है।
जीराजपुर के इस Wall Collapse ने फिर साबित कर दिया कि सिस्टम के लिए गरीब सिर्फ आंकड़ा है — बस हादसे के बाद कुछ फाइलें और सहानुभूति के ट्वीट। बाकी दीवार फिर गिरेगी, फिर कोई दबेगा और फिर एक नया ‘मुआवजा आश्वासन’।
Bulandshahr Wall Collapse का जिम्मेदार कौन?

अब सवाल उठता है कि इस Wall Collapse का असली कसूरवार कौन है? गरीब जिसने मजबूरी में कच्ची दीवार बनाई या वो सिस्टम जिसने सालों से कभी पक्का मकान योजना को मजाक बना दिया? बरसात कोई नई आफत नहीं, लेकिन इंतजाम हर साल पुराने!
तहसीलदार साहब से लेकर थाना प्रभारी और नगर विकास महकमा — सब जिम्मेदारी का ‘बोझ’ एक-दूसरे पर फेंक देंगे, मगर दीवार के नीचे जो गरीब दबा है, उसका दर्द कौन उठाएगा?
Bulandshahr Wall Collapse सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं और राहत घोषणाओं के खोखले दावों पर बड़ा तमाचा है। अब सवाल है — अगली बारिश में किसकी दीवार, किसका घर, किसकी जिंदगी ऐसे ही गिरने वाली है?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:सुरेंद्र सिंह भाटी
📍 लोकेशन: बुलंदशहर, यूपी
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