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“जहां भारतीय रेल की पहचान लेट-लतीफी है, वहीं Prayagraj Express 41 साल से वक्त की पटरी पर दौड़ रही है। इस ट्रेन ने समय की मार झेली नहीं, उसे हर बार मात दी है!”
जब भारतीय रेल का मतलब होता था – ‘समय? वो क्या होता है!’
भारत में ट्रेन और टाइम एक-दूसरे के जानी दुश्मन रहे हैं। सर्दियों में कोहरा आए या न आए, पर भारतीय रेल की घड़ी ज़रूर धुंधला जाती है। लेट लतीफी इतनी सामान्य बात है कि लोग अब गूगल पर ट्रेन का टाइम नहीं, ट्रेन की ‘लेट हिस्ट्री’ खोजते हैं। अगर कोई ट्रेन समय पर प्लेटफॉर्म पर आ जाए, तो यात्री पहले उसे नमस्कार करते हैं, फिर पूछते हैं – “तुम भारतीय रेल से हो भी या जापान से एक्सचेंज होकर आई हो?”
🚉 भारतीय रेल: टाइमिंग की कब्रगाह या चमत्कार का मैदान?

दरअसल भारत में रेल सिर्फ लोहे की पटरियों पर नहीं, जनता की सहनशक्ति पर भी चलती है। ट्रेन लेट होना यहां उतना ही सामान्य है जितना नेता का वादा भूल जाना। सर्दी में कोहरा हो या गर्मी में धूप—ट्रेन कभी भी, कहीं भी घंटों लेट हो सकती है, और कोई अफसर माफी नहीं मांगेगा।
यात्रियों ने मान लिया है कि रेल का समय भगवान भरोसे है, और स्टेशन पर बैठा हर मुसाफिर दरअसल “कब आएगी मेरी ट्रेन?” वाले ध्यान योग में लीन रहता है। समय पर ट्रेन आ जाए तो यात्री उसे ट्रेन नहीं, “अवतार” समझते हैं। बुलेट ट्रेन के नाम पर हजारों करोड़ों की स्कीमें ज़रूर चल रही हैं, लेकिन प्लेटफॉर्म नंबर 6 पर खड़े लोग अब भी सोच रहे हैं – हमारी पैसेंजर तो कल वाली थी ना?
🕰️ लेकिन इसी रेल की भीड़ में एक ‘समयपाल’ चमत्कार भी है — Prayagraj Express

और यहीं से आती है Prayagraj Express – भारतीय रेल का वो स्वर्णाक्षरी अपवाद, जिसने ‘समय’ को सिर्फ घड़ी की सुई नहीं, अपनी पहचान बना लिया है।
1984 में जब ये ट्रेन पहली बार Prayagraj (तब का इलाहाबाद) से दिल्ली की ओर चली थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि चार दशक बाद ये ट्रेन “समय की मिसाल” बन जाएगी।
16 जुलाई 2025 को Prayagraj Express ने अपने 41 साल पूरे कर लिए। रेलवे वालों ने इसका बर्थडे मनाया, और यात्रियों ने फूलों, केक और चॉकलेट से इसे बधाइयाँ दीं। ऐसे माहौल में किसी ट्रेन का जन्मदिन मनना – यही अपने आप में भारतीय रेल में एक अविश्वसनीय मगर खुशनुमा घटना है।
🎂 Prayagraj Express का 41वां बर्थडे: ट्रेन आई, मुस्कराई और बर्थडे केक भी कटवाया!

भारत की ‘सबसे अनुशासित ट्रेन’ कही जाने वाली Prayagraj Express ने अपने जीवन के पूरे 41 साल पूरे कर लिए। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से दिल्ली की ओर 1984 में चली यह ट्रेन, अब बुजुर्ग होने के बावजूद, भारतीय रेल की सबसे तेज, समय पर चलने वाली और भरोसेमंद ट्रेनों में गिनी जाती है।
और आज जब बाकी ट्रेनें पटरियों पर विलंब की बीमारी से कराह रही हैं, तो Prayagraj Express ने खुद को फूलों से सजवाकर, यात्रियों को गुलाब और चॉकलेट पकड़ा कर अपना ‘बर्थडे सेलिब्रेट’ किया – वो भी बिना लेट हुए!
🚂 Prayagraj Express का रेलवाणी अवतार: बर्थडे पर खुद बोल उठी ट्रेन
इस जश्न में सबसे खास था वो भावुक क्षण, जब Prayagraj Express के पहले लोको पायलट और पहले टीटी को बुलाया गया और उनके हाथों केक कटवाया गया। स्टेशन पर खड़े यात्री तालियां पीटते रहे और ट्रेन… वही अपने वक्त की पाबंद, अगले स्टेशन की ओर बढ़ चली। ट्रेन ने जैसे कहा हो – “बर्थडे मेरा है, पर ड्यूटी फर्स्ट!”
41 साल की Prayagraj Express और अब भी जवान! – रेलवे ने बजाई बैंड
उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया, “16 जुलाई 1984 को प्रयागराज से दिल्ली रवाना हुई ये ट्रेन आज भी भारत की सबसे समयबद्ध और विश्वसनीय ट्रेनों में शामिल है।” यह ट्रेन अब तक लाखों मुसाफिरों को उनकी मंज़िल तक सुरक्षित, आरामदायक और भरोसे के साथ पहुंचा चुकी है।
Prayagraj Express बन गई है शहर की पहचान

यह ट्रेन अब प्रयागराज की शान बन चुकी है। लोग कहते हैं – “अगर Prayagraj Express न चलती तो इलाहाबाद आज भी पुराना ही रहता!” नाम बदला, स्टेशन बदला, सरकारें बदलीं – मगर इस ट्रेन की पाबंदी और सेवा भावना कभी नहीं बदली। न समय से समझौता, न भरोसे से!
🚉 आगे भी उड़ान भरने को तैयार है Prayagraj Express
रेलवे अधिकारी मानते हैं कि Prayagraj Express की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए इसे नए कोच, बेहतर इंजन और डिजिटल सिस्टम से लैस किया जा रहा है। ट्रेन का डिजिटल टाइमिंग सिस्टम अब तक की सबसे सही घड़ी मानी जा रही है – रेलवे वालों से ज़्यादा भरोसा तो इस पर है!
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: नन्हे सिंह
📍 लोकेशन: बुलंदशह, यूपी
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